मैं जो रूठी ,
तुम भी रूठे ,
सोंचो फिर एक दूसरे को मनाएगा कौन ?
आज की दरार ,
कल खाई होगी,
सोंचो फिर इसे इसे पाट पायेगा कौन ?
मैं रहूं चुप ,
तुम भी रहो चुप ,
फिर बातों का सिलसिला बढ़ाएगा कौन ?
छोटी बातें जब ,दिल पर लगेंगी
तो इस रिश्ते को फिर निभाएगा कौन?
न मैं राजी,
न तुम राजी,
फिर तुम सोंचो एक दूसरे को मनाएगा कौन ?
एक अहम् मेरे पास ,
एक तेरे भीतर भी,
फिर हममें से इसे हराएगा कौन ?
ज़िंदगी रुकती ही कहाँ है ,
फिर गुजरते वक़्त के ,
साथ अकेला रह जायेगा कौन?
दोनों में से ,
किसीने ,बीच रास्ते ,
में कह दिया अगर अलविदा ,
कल इस बात पर फिर
पछतायेगा कौन ?
