कुछ दो महीनों से प्रकाश और उसकी पत्नी गीता में बातचीत बंद थी | शादी के दो साल हुए ही हुए थे, कोई बच्चा भी नहीं था कि बीच में पोस्टमैन का काम करता | अम्मा -बाउजी के सामने वो सामान्य बातें करते पर बैडरूम में जैसे 36 का आंकड़ा बना कर ही सोते | प्रकाश एक तो दुकान की चक चक से थक कर आता, फिर अम्मा -बाउजी से बातों में कुछ समय लगाता | जॉइंट फॅमिली के नियम कानूनों का लिहाज़ रखते हुए जब वो अपने कमरे में पहुँचता तो बीबी मुँह फुलाए हुए ही मिलती |
“अरे कुछ तो बोलो भई, क्या हुआ है, ज़रा हम भी तो जानें” पर गीता का चढ़ा चेहरा जैसे उतरता ही नहीं |
“यह क्या लगा रखा है इसने, पहले बात कम की, अब तो जैसे कसम ही खा ली हो कि कुछ प्यार के शब्द मुँह से निकले? क्या इसे पता चल गया कि मैंने शैला से शादी करने की ज़िद पकड़ी थी पर यह तो शादी के पहले की बात थी, कसम उठा लो इससे शादी के बाद किसी और के बारे में सोचा हो तो, शादी कर ली तो शादी कर ली, भली मानस समझे तब तो | या फिर अभी होली में इसकी बहन के साथ ज़रा जमके रंग खेल लिया इसलिए मुँह उतरा है देवी जी का |
क्या कहें माहौल ही कुछ ऐसा था, अब इसमें ऐसी क्या बात है कि बात ही बंद कर दो, आगे से ध्यान रखूँगा | या फिर अब मैं ही इसे पसंद नहीं ? हे भगवान यह आजकल की लड़कियां क्या करूँ, क्या ना करूँ ? कितने विचार घुमड़ते रहे मन में |
मन कड़ा कर एक दिन अपने दोस्त सुशांत को अपने दिल की सारी बात कह डाली, जिसकी पत्नी रमा के साथ उसकी पत्नी गीता की गहरी छनती थी | आग्रह किया कि कुछ करके आमने सामने एक मीटिंग कराओ पता तो चले बात क्या है ? घर पर करता तो बात अम्मा -बाउजी तक भी पहुँचती, अपने कमरे में भी वो ज्यादा बात नहीं कर पाता,ज्वालामुखी फटती तो अपनी अम्मा को वो जानता था सीधे गीता को अपने घर भेज देती | अब तो गीता के बिना अपनी ज़िंदगी जीने की तो वो सोच भी नहीं सकता |
सुशांत और रमा फ़ौरन तैयार हो गए | गीता भी मंदिर के बहाने रमा के घर पहुंची और वैसे भी आज दुकान में मन उसका भी नहीं लगा | नियत समय से पहले ही जा पहुंचा सुशांत के घर प्रकाश |
सुशांत ने प्रकाश की ओर देखते हुए कहा “तू नहीं बोलेगा कुछ, सबसे पहले भाभी जी बोलेंगी और तू बीच में टोकेगा भी नहीं | भाभी जी आप बोलो ऐसी क्या बात है कि आप दोनों ने ठीक से 2 महीनों से बात भी नहीं की है”
गीता ने अपनी बात शुरू की “क्या बताऊँ भाई साहब अपना दर्द और जब यह सामने बैठे हैं,सुलझाना ही चाहते है तो अब चुप मुझसे भी नहीं रहा जायेगा”
प्रकाश की धड़कन जैसे रुकने सी लगी |
गीता ने कहा “देखो भाई साहब कुछ दिन पहले मेरे भाई आये थे, इनको बताया भी पर यह बोले दुकान बड़े ज़ोरो पर है, छोड़ कर आया तो बड़ा घाटा होगा और मेरा भाई खाना खाकर चला गया | अब आप ही बताओ वो इस शहर रोज़ रोज़ थोड़े ही आता है ? कितनी बेइज़्ज़ती कर दी इन्होंने हमारे भाई की, आप ही बताओ ?
जब इनको कही कि पद्मावत हमें भी दिखा लाओ तो फिर वही बात | अम्मा रात को सिनेमा जाने नहीं देती और सुबह इनकी दुकान छूटती नहीं | सिनेमा आकर चला भी गया, इनकी कान पर ज़ू भी नहीं रेंगी । आप ही बताओ भाई साहब |
दुकान के लिए माल आया था, अम्मा के सामने धीरे से कहा भी “यह लाल वाली साड़ी हमें बड़ी पसंद है, बोल पड़े “सैंपल पीस है मैं मंगवा दूंगा “पूछिए भाई साहब दो महीने हो गए,क्यों नहीं आया अब तक मेरे लिए वो पीस, क्या क्या बताऊँ अपने कष्ट |
सुशांत ने प्रकाश की तरफ देखा, शांति से सुने जा रहा था वो |
भोली सी अपनी बीबी की मासूम शिकायतें, मन को छू गयी | कान पकड़ लिए पत्नी के सामने “सारी शिकायतें दूर कर दूंगा तेरी, एक मौका तो दे दो, बिना किसी के परवाह किये सबके सामने गले से लगा लिया उसे, सुनते है आजकल दिन दोपहर ताले लगाकर महीने में दो सिनेमा तो देख ही आता है प्रकाश, गीता के साथ !
मेरा नज़रिया : पति – पत्नी के तनाव की अधिकतर वजहें छोटी -छोटी ही होती हैं जो आगे चलकर बड़ी बन जाती है| कभी कभी हम समझ लेते है समस्याएं बड़ी है पर वो होती है छोटी सी हैं, सच पूछें तो पत्नी की ज़रूरतें और चाहते इतनी बड़ी कभी होती ही नहीं |आपका प्यार भरा साथ और थोड़ा सा दुलार आपके शादी शुदा ज़िंदगी में जादू की छड़ी का काम कर सकता है | आप कोशिश ज़रूर करें |
