लोग कहते है कि, है पत्थर सा ,सख़्त लगता भी बहुत है ,
पर दोस्तों , मेरा दिल ,जरा सी बात पर पिघलता भी बहुत है |
वैसे तो कई दोस्त है ,तेरे दिल के करीब “श्री ” ,
लेकिन न जाने वो ही क्यों तुझको याद आता भी बहुत है !
तहज़ीब के दायरे में “श्री “सह जाती हो तुम भी बहुत कुछ ,
होठ रहते है ख़ामोश मगर दिल तेरा दुखता तो बहुत है !
मत सुन रोज किसी की ,आज अपनी भी सुना कुछ ,
दिल ख़ामोश सा दरिया है पर कहता तो बहुत है |
Written by -Amrita Shri
