असर मुझपर अभी तक तेरे इश्क़ का है ,
होश में आ जाने दो , बात करता हूँ |
अभी हंसी मेरी बड़ी बेबाक सी है ,
नमी इसमें ,घुल जाने दो ,बात करता हूँ |
तुम कहते हो तुममें दिल बनके धड़कने लगा हूँ मैं ,
सांसे बनके उतर जाने दो ,बात करता हूँ !
बड़े चरचे हैं शहर में इश्क़ के कई अफ़सानो के ,
नाम अपना भी आ जाने दो ,बात करता हूँ !
कहते है वक़्त बदल देता है सबके तेवर ,
उसे भी आजमाने दो ,बात करता हूँ |
यह सच है खाक हो गया हूँ तेरे इश्क़ में मैं लगभग ,
राख़ बन जाने दो ,बात करता हूँ |
–अमृता श्री