दोस्तों वो मिडिल क्लास बंदा है|
पता है जीवन के सब दो -पांच उसे ,
जिंदगी से रोज दो -चार हुआ करता है ,
दोस्तों वो मिडिल क्लास बंदा है|
उसके सपने जलते है ,
रोज़ उसकी आँखों में ,
रोज़ नए रास्ते तलाश करता है |
दोस्तों वो मिडिल क्लास बंदा है|
हर मुसीबत से सीखता है वो ,
हर जरुरत से जूझता है वो ,
पीछे वो फिर भी नहीं हटता है |
दोस्तों वो मिडिल क्लास बंदा है|
अपने सपनो को आँखों में लेकर ,
हर दिन दो कदम और चलता है ,
पावों के छाले देते है जूनून उसे ,
मंज़िल दो कदम और है,
बस यही कहता है|
दोस्तों वो मिडिल क्लास बंदा है|
एक दिन जब तालियों में ,
अपनी उपलब्धियाँ वो जो सुनता है ,
सर झुकता है उसका नम्रता से फिर ,
कितना कुछ सीखना है अभी,
कह आगे निकल पड़ता है|
दोस्तों वो मिडिल क्लास बंदा है|
-अमृता श्री
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बहुत खूबसूरत रचना,
अम्रता जी ।
पावों के छाले देते है जूनून उसे ,
मंज़िल दो कदम और है, यही है वो कहता ,
दोस्तों ,है वो मिडिल क्लास का बंदा !
वाह 🙏😊💐
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Thanks Alok 🙂
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