तेरी जुस्तजू में खुद को संवारा करेंगे हम ,
यादों के जुगनुओं से तब तक गुजारा करेंगे हम !
प्यार के इस दरिया को हम पैमाने में क्यों मापे?
तेरी आँखों में सनम खुद को उतारा करेंगे हम !
जब मैं और तू हो और दरमियान हो बस खल्वत,
किसी और का जिक्र भी तब क्यों गवारा करेंगे हम ?
मफ़्तूह होके आज तू दिल की बात कह “श्री ”
तेरे चेहरे पर घिरी सुर्ख़ियों का नज़ारा करेंगें हम !
-अमृता श्री
कठिन शब्द :
खल्वत :एकांत,
मफ़्तूह खुल कर बोलना

वाह। गजब का लेखन।
प्यार के इस दरिया को हम पैमाने में क्यों मापे?
तेरी आँखों में सनम खुद को उतारा करेंगे हम !
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waah! khub 👌
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बहुत सुंदर !
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बहो ही बढ़िया
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